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Sarso ki top variety: चाहते हैं सरसों से बंपर उत्पादन तो करे सितंबर-अक्टूबर में सरसों की अगेती बुवाई, जानें टॉप किस्में और उनके फायदे

सरसों की बुवाई के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने कुछ अगेती किस्मों की सिफारिश की है

Sarso ki top variety: चाहते हैं सरसों से बंपर उत्पादन तो करे सितंबर-अक्टूबर में सरसों की अगेती बुवाई, जानें टॉप किस्में और उनके फायदे

सितंबर-अक्टूबर के महीने में सरसों की बुवाई का समय सबसे उपयुक्त होता है, खासकर उन किसानों के लिए जो अगेती पैदावार की चाहत रखते हैं। सरसों की बुवाई के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने कुछ अगेती किस्मों की सिफारिश की है, जिनसे किसान बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। यहां हम आपको इन टॉप 6 अगेती किस्मों के बारे में बता रहे हैं, जो कम अवधि में तैयार होती हैं और अच्छी पैदावार देती हैं।

पूसा सरसों-24 (एलईटी-18)

इसकी फसल अवधि 140 दिन की होती है और इसकी उपज क्षमता 20.25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुंच जाती है।
अगर इसके तेल की मात्रा की बात करें तो अन्य किस्मों की बजाय इसमें 26.55% अधिक होती है।
एरूसिक एसिड की कम मात्रा (<2%) होने के कारण यह किस्म हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है।

पूसा सरसों-25

इसकी फसल अवधि 105-115 दिन की होती हैं तथा उपज क्षमता 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं। इसमें
तेल की मात्रा 39.6% होती हैं।
यह किस्म डाउनी फंगस और सफेद जंग के प्रति प्रतिरोधक है।

पूसा सरसों-28

इसकी फसल अवधि 107 दिन की है। इसकी उपज क्षमता 19.93 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है व तेल की मात्रा 41.5% होती है।
यह किस्म अंकुरण की अवस्था में उच्च तापमान सहन करने में सक्षम है।

पूसा अग्रणी

पूजा अग्रणी किस्म की फसल अवधि 110 दिन होती है।

इसकी उपज क्षमता 17.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है
व तेल की मात्रा: 39-40% होती है।
पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों में धान के बाद उगाने के लिए उपयुक्त।

पूसा तारक (ईजे-9912-13)

इस किस्म की बात करें तो इस फसल अवधि की 121 दिन की होती है। इसकी उपज क्षमता 19.24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैऔर तेल की मात्रा 40% होती है।
यह बहुफसली प्रणाली के लिए उपयुक्त है और गन्ने या सब्जी की खेती के बाद उगाई जा सकती है।

पूसा महक (जेडी-6)

इसकी फसल अवधि 118 दिन होती हैं। इसकी उपज क्षमता 17.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है और तेल की मात्रा 40% होती है। इस किस्म को विशेष रूप से एनईआर और पूर्वी क्षेत्रों के धान के खेतों में उगाया जा सकता है।

सरसों की बुवाई का तरीका

सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त समय सितंबर के अंत से अक्टूबर के मध्य तक होता है। बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करें और सुनिश्चित करें कि मिट्टी में नमी बनी रहे। बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर 4-5 किलोग्राम होनी चाहिए।

बुवाई का तरीका

बुवाई के लिए 30×10 सेमी की दूरी पर कतारों में बीज बोएं।

उर्वरक के रूप में 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम फास्फोरस और 20 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर दें।

सिंचाई की व्यवस्था बुवाई के 20-25 दिन बाद और पुष्पण के समय करें।

सरसों की इन अगेती किस्मों का चयन करके किसान कम समय में बेहतर उपज प्राप्त कर सकते हैं। पूसा सरसों-24, पूसा सरसों-25, और पूसा तारक जैसी किस्में खेती के लिए अधिक उपयुक्त हैं और उनके उच्च तेल प्रतिशत के कारण आर्थिक रूप से भी फायदेमंद हैं।

Sandeep Verma

नमस्ते, मैं संदीप कुमार । मैं 10 साल से लगातार पत्रकारिता कर रहा हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेत तक जुड़ी हर खबरें बताने का प्रयास करूँगा । मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर तकनीक और योजनाओ का लाभ प्राप्त कर सकें। ताजा खबरों के लिए आप खेत तक के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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